मैं मर जाऊं
तो मुझे या मेरी आत्मा को
धरती पे ही छोड़ देना।
तनिक भी चाह नहीं है कि
जन्नत या दोजख
हेवेन या हेल
स्वर्ग या नरक
क्षण भर के लिए भी जाऊं
भला बताओ
शराब का मैं आदि नहीं
विवाह हो ही चुका है
चिरयौवन तो यहां भी हूँ
तो फिर चला भी गया
तो करूँगा क्या?
फिर पता नहीं
हुकूमत किसकी और कैसी होगी।
अच्छा तुम ही बताओ।
लोकतंत्र है वहां?
सबकी बराबरी वाला संविधान
लिखा है किसी ने वहां?
और तो और
टीवी मिलेगी नहीं
मोबाईल होगा नहीं।
टिकटॉक, फेसबुक, ट्वीटर
जीमेल, जूम
हॉलीवुड
बॉलीवुड
नेटफ्लिक्स
प्राइम
आईपीएल
इजरायल, कोरिया
चाइना, पाकिस्तान।
और
रूस अमेरिका जापान।
धरना-प्रदर्शन,
जलसा-जुलूस।
विश्व बैंक
डब्ल्यू एच ओ
संयुक्त राष्ट्र संघ
अपना सार्क भी,
होगा तो कुछ भी नहीं।
इसीलिए
आपसे भी कहता हूं
आप भी अभी ही पुनर्विचार कर लीजिए।
मेरी तरह।
हमारी धरती से बेहतर कुछ भी नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें