सुनो बिहारी

सुनो बिहारी धीरज धर के लोगों की हर बात, बातों से जब बात बनेगी तब होगी शुरुआत!

शनिवार, 2 नवंबर 2024

एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।

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  कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
2 टिप्‍पणियां:
रविवार, 5 जून 2022

समय में भारी उलझन है

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  कविता , 05/06/2022 ================ समय में भारी उलझन है, लोग परेशान बहुत हैं, इसलिए काम भी बहुत है। आदतन सभी अपने हिस्से की बात को सच मा...
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

नए साल में।

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 नए साल में देखे तो और भी  देखने की कोशिश करें। आँख खुद से बंद न करें। कोई पूछे इससे पहले देखने की घोषणा कर दे। देखे तो करीब का भी देखे दूर ...
रविवार, 10 अक्टूबर 2021

आखिरी खत

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  आखिरी खत किसी के भी नाम नहीं नियम से न तो शुरू हुआ और न खत्म। लिफ़ाफ़े पे किसी का पता नहीं । अंदर के खत में कोई प्यारा आदरणीय पूजनीय प्रिय न...
मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

वही हमारे समय का इतिहास है।

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किसी के कहने से पहले   और  किसी के चुप हो जाने के बाद से  आहिस्ते आहिस्ते  अपना पाला बदलने में  सुविधाओं ने  इतने फिसलन बना दिए हैं  कि  सुर...
गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

वाह वाह

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आपका स्तर क्या है इससे पहले कि  कविता का स्तर देखा जाए कविता के शील,गुण, कौमार्य का परीक्षण हो इससे पहले आप बता दें जनाब 'आर यू वर्जिन??...
रविवार, 20 दिसंबर 2020

मौत तो कविता की भी होती है

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तमीजदार भाषा सेवक की भाषा आपकी जगह लेट जाती है तानाशाहों के बिस्तर पर फिर पैदा होती है एक कवि की कविता एक लेखन की रचना महाकाव्य इतिहास जीवनग...
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Dr. Om Rajput
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