गुरुवार, 30 जुलाई 2020

ऐसा भी समय था
अखबार छपता था
तो पाठक खरीदता था
और फिर
दूसरे दिन कबाड़ी वाला ले जाता था
आज
कबाड़ी वाला खरीदता है
फिर
अखबार छपता है
और
पाठकों को मुफ्त दिया जाता है।
पैसा तो
साथ के
बाल्टी
डब्बा
जार
और घड़ी का लिया जाता है।
अखबार से केवल
कूपन सहेजा जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें