ऐसा भी समय था
अखबार छपता था
तो पाठक खरीदता था
और फिर
दूसरे दिन कबाड़ी वाला ले जाता था
आज
कबाड़ी वाला खरीदता है
फिर
अखबार छपता है
और
पाठकों को मुफ्त दिया जाता है।
पैसा तो
साथ के
बाल्टी
डब्बा
जार
और घड़ी का लिया जाता है।
अखबार से केवल
कूपन सहेजा जाता है।
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